मुख्यमंत्री ने मंगलवार को लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि उत्तर प्रदेश में अब तक अधिकांश राजमार्ग और एक्सप्रेसवे पूर्व-पश्चिम दिशा में हैं, जबकि प्रदेश को नेपाल सीमा से लेकर दक्षिणी जिलों तक जोड़ने वाला कोई समर्पित उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर नहीं है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
राज्यों के बीच बढ़ेगी कनेक्टिविटी
सीएम योगी ने बताया कि प्रस्तावित उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर उत्तर प्रदेश को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से जोड़ेगा। इसके निर्माण से न सिर्फ उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों को नई पहचान मिलेगी, बल्कि इन क्षेत्रों में व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी।
केंद्र और राज्य का समन्वय
कॉरिडोर के निर्माण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की भागीदारी के साथ-साथ राज्य सरकार भी अपने स्तर पर कार्य करेगी। जहां जरूरत होगी, वहां ग्रीनफील्ड रोड परियोजनाएं भी शुरू की जाएंगी। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कॉरिडोर के विभिन्न हिस्सों की योजना इस तरह बनाई जाए जिससे यातायात के सभी दबावों का समाधान हो सके।
शहरी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान
शहरी क्षेत्रों में यातायात की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री ने बाईपास, रिंग रोड और फ्लाईओवर के निर्माण पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि एक लाख से अधिक आबादी वाले नगर निकायों में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए, जिससे लोगों को जाम की समस्या से निजात मिले।
ग्रामीण सड़कों के विकास पर जोर
ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के लिए सीएम ने पंचायतों की निधियों के प्रभावी उपयोग का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि गांवों तक अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल सके।
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