तेजस: भारत का अपना फाइटर जेट
तेजस को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने डिजाइन और विकसित किया है। यह एक हल्का, बहुउद्देश्यीय और स्वदेशी लड़ाकू विमान है जो हवा से हवा और हवा से जमीन तक मार कर सकता है। अब तक भारतीय वायुसेना को 40 तेजस विमान मिल चुके हैं और जल्द ही 83 एडवांस्ड वेरिएंट (A1) विमान भी मिलेंगे।
AESA रडार: तेजस की आंखें और कान अब और तेज
नए वेरिएंट में जो सबसे बड़ी तकनीकी छलांग लगी है, वह है AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार। यह इजरायली कंपनी एल्टा द्वारा बनाया गया है, जो इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) की सहायक कंपनी है। AESA रडार पुराने रडार सिस्टम की तुलना में कई गुना बेहतर है। यह तेजी से स्कैन करता है, कई टारगेट को एक साथ ट्रैक करता है और दुश्मन के रडार को भी जाम कर सकता है। इसकी वजह से तेजस किसी भी खतरे को पहले पहचान सकता है और समय रहते जवाब दे सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली: दुश्मन की चालों पर भारी
तेजस को अब एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम भी मिलेगा, जो एल्टा द्वारा ही प्रदान किया गया है। यह सिस्टम युद्ध के समय दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भटका सकता है, जिससे पायलट को सुरक्षा मिलती है और विमान को ज्यादा समय तक हवा में टिकने की क्षमता मिलती है।
हेलमेट-माउंटेड साइट: जहां देखा, वहीं निशाना
तेजस के पायलट अब एल्बिट कंपनी द्वारा विकसित हाई-टेक हेलमेट-माउंटेड साइट का उपयोग करेंगे। यह सिस्टम पायलट को अपने लक्ष्य पर सीधा निशाना लगाने की क्षमता देता है, चाहे वह किसी भी दिशा में हो। यानी अब मिसाइलें सिर्फ रडार से ही नहीं, पायलट की नजर से भी निर्देशित होंगी।
डर्बी मिसाइलें: दुश्मन की हवा में ही तबाही
तेजस अब इजरायली डर्बी मिसाइलों से लैस होगा। ये रडार-निर्देशित मिसाइलें हैं, जो हवा में ही दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती हैं। इसकी मारक क्षमता भारत के रक्षा कवच को और भी मजबूत बनाती है। तेजस के नए वेरिएंट के 83 विमानों में लगाए जाने वाले इजरायली सिस्टम अब भारत में ही स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर बनाए जाएंगे।
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