नई सैन्य रणनीति और बड़े ऑर्डर की जरूरत
दरअसल इस ऑपरेशन की सफलता ने तीनों सेनाओं को यह सोचने पर मजबूर किया कि ब्रह्मोस मिसाइलों की संख्या और क्षमता में वृद्धि की जाए। इसके तहत वायुसेना और नौसेना दोनों अपनी लड़ाकू ताकत को बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
वायुसेना की तैयारी: वायुसेना अपने रूसी निर्मित सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करेगी। विमान से मिसाइल लॉन्च करने की तकनीक से मिसाइल की रेंज और विनाशक क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और दूर तक मार करना संभव होगा।
नौसेना की तैयारी: भारतीय नौसेना अपनी पनडुब्बियों को भी ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कर रही है। पनडुब्बी से मिसाइल दागने की क्षमता भारत को समुद्र में एक निर्णायक सामरिक बढ़त देगी, खासकर हिंद महासागर में, जहां जलमग्न स्थिति में हमला करना दुश्मन के लिए बेहद मुश्किल होगा।
बड़े पैमाने पर खरीदारी का संकेत
इतनी बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद भारत की सैन्य तैयारी के अगले चरण की ओर इशारा करती है। यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय सैन्य ताकत के स्तर को भी बढ़ाएगा। इस कदम से यह भी साफ होता है कि भारत भविष्य में संभावित किसी भी सैन्य चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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