महिलाओं द्वारा संचालित अनोखा केंद्र
मिट्टी दीदी केंद्र में महिलाएं विभिन्न एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) से जुड़ी हैं और इनका नेतृत्व कर रही हैं आशा। इन महिलाओं को तेलंगाना, असम और पंजाब के प्रशिक्षकों द्वारा मिट्टी की जांच करने की ट्रेनिंग दी गई है। इन महिलाओं ने अपने प्रशिक्षण के बाद यह साबित कर दिया है कि महिलाओं की मेहनत और समर्पण से कृषि क्षेत्र में भी बदलाव लाया जा सकता है।
मिट्टी की जांच और किसानों के लिए फायदे
यह केंद्र हाईटेक उपकरणों से लैस है, जिनकी मदद से मिट्टी के 12 प्रमुख पैरामीटर की जांच की जाती है, जैसे कि पीएच मान, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर और अन्य मिनरल्स। यह जांच किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की सेहत का राज जानने में मदद करती है, जिससे वे उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर पाते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है। इस केंद्र से लाभ उठाने के लिए रायबरेली, बाराबंकी, सोनभद्र और चित्रकूट जिलों के किसान भी आ रहे हैं।
महिलाओं को मिल रही ₹15,000 तक सैलरी
मिट्टी दीदी केंद्र में काम कर रही महिलाओं को ₹12,000 से ₹15,000 तक की सैलरी मिल रही है। इसके अलावा, इन महिलाओं को पीएफ और हेल्थ इंश्योरेंस की भी सुविधा प्रदान की जा रही है। इस केंद्र का संचालन नवचेतना एफपीओ द्वारा किया जा रहा है, और इसके चेयरमैन अपर्णा श्रीवास्तव का कहना है कि महिलाओं के नेतृत्व में यह केंद्र किसानों के लिए बड़ी मदद साबित हो रहा है।
खाद के गलत इस्तेमाल से बचने में मदद
केंद्र के जरिए किसानों को खाद और उर्वरकों के संतुलित उपयोग के बारे में भी बताया जा रहा है। असंतुलित उर्वरकों के कारण मिट्टी की सेहत खराब हो रही थी, जिससे उपज में गिरावट आ रही थी। लेकिन अब किसानों को मिट्टी की जांच कराकर यह जानकारी मिल रही है कि उन्हें किस प्रकार के उर्वरक की जरूरत है, जिससे उनकी मिट्टी की सेहत सुधर सके और उत्पादन में वृद्धि हो।
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