इससे पहले 40 सुखोई जेट्स को पहले ही ब्रह्मोस-ए मिसाइल से अपग्रेड किया जा चुका है। 20 और फाइटर जेट्स को शामिल किए जाने के बाद भारत के पास कुल 60 ऐसे अत्याधुनिक जेट्स होंगे, जो हवा से जमीन पर लंबी दूरी तक वार करने में सक्षम होंगे। यह कदम न केवल पड़ोसी देशों के सामने भारत की रक्षा क्षमता को रेखांकित करेगा, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में एक मजबूत सामरिक संदेश भी देगा।
HAL को मिला जिम्मा, शुरू होगा स्ट्रक्चरल अपग्रेड
सुखोई जेट्स में ब्रह्मोस-ए मिसाइल फिट करने का जिम्मा हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को सौंपा गया है। HAL इन जेट्स के फ्यूजलेज को इस तरह मजबूत करेगा कि 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस-ए मिसाइल को जेट के सेंटरलाइन हार्डपॉइंट पर सफलतापूर्वक लगाया जा सके। HAL के अनुसार, इस प्रक्रिया की शुरुआत इसी साल के अंत तक की जा सकती है।
ब्रह्मोस-ए: दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और तेज़ प्रहार
ब्रह्मोस-ए एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी रेंज लगभग 400 किलोमीटर है। इसकी गति 2.5 मैक (यानी ध्वनि की गति से 2.5 गुना तेज) तक होती है, जो इसे दुनिया की सबसे घातक एयर-टू-सरफेस मिसाइलों में शामिल करती है।
यह मिसाइल दुश्मन के हवाई अड्डों, सैन्य ठिकानों, कमांड सेंटरों और नौसेना के ठिकानों को बेहद सटीकता से निशाना बना सकती है। भारत अब मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य है, जिससे ब्रह्मोस-ए की रेंज को 800 किलोमीटर तक बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। ऐसे में यह अपग्रेड भारतीय वायुसेना की रणनीतिक पहुंच को कई गुना बढ़ा देगा।
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