यूपी में बिजली का निजीकरण: कर्मचारियों को मिलेंगे ये 3 विकल्प

लखनऊ — उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण प्रणाली के निजीकरण की दिशा में सरकार ने एक बड़ा कदम उठा लिया है। शुक्रवार को हुई एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए निविदा दस्तावेज को मंजूरी दे दी गई है। यह दस्तावेज अब उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद निजीकरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी।

जून तक पूरी हो सकती है प्रक्रिया

बैठक में निविदाएं प्राप्त करने वाली कंपनियों की तकनीकी क्षमता, वित्तीय स्थिति, अनुभव और निवेश योग्यता जैसे मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चयनित निजी ऑपरेटर तभी कामकाज शुरू करेंगे जब उन्हें नियामक आयोग से अंतिम मंजूरी मिल जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि यह पूरी प्रक्रिया जून 2025 तक पूरी कर ली जाएगी।

कर्मचारियों के लिए तीन विकल्प

सरकार ने निजीकरण के विरोध और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण विकल्पों की घोषणा की है:

1 .निजी कंपनी में समायोजन: कर्मचारियों को नई निजी कंपनी में समायोजित किया जाएगा, जहां उनकी सेवा शर्तें यथावत बनी रहेंगी। यानी वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं पहले जैसी ही रहेंगी।

2 .सरकारी विभाग में समायोजन: यदि कोई कर्मचारी निजी क्षेत्र में कार्य करना नहीं चाहता, तो उसे राज्य सरकार के अन्य विभागों में समायोजित किया जाएगा।

3 .स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS): तीसरे विकल्प के तहत कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसके तहत उन्हें सेवा समाप्ति पर वित्तीय लाभ दिया जाएगा।

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