भारत के तीन मिसाइलों से बदला वैश्विक ऑर्डर: पढ़ें रिपोर्ट

नई दिल्ली | भारत ने हाल ही में तीन प्रमुख मिसाइल प्रणालियों के दम पर वैश्विक सामरिक संतुलन में अपनी मौजूदगी को नए सिरे से स्थापित कर दिया है। अग्नि-5, ब्रह्मोस और अब देश की नई हाइपरसोनिक मिसाइल LRAShM (Long Range Anti-Ship Missile) के सफल परीक्षण के बाद भारत की सैन्य शक्ति को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा तेज़ हो गई है।

हाइपरसोनिक युग में भारत की एंट्री

एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते वर्ष 16 नवंबर को भारत ने 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल LRAShM का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल तेज़ी से बदलते युद्ध के स्वरूप में भारत की सेना को बढ़त दिलाने के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।

1 .अग्नि-5: भारत का ICBM संदेश

अग्नि-5, भारत की सबसे लंबी दूरी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक मार करने में सक्षम है, जो भारत को अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल क्लब का हिस्सा बनाती है। इस मिसाइल की मारक सीमा में अब एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बड़े हिस्से आ जाते हैं। यह भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस नीति की रीढ़ मानी जाती है।

2 .ब्रह्मोस: तेज़, घातक, भरोसेमंद

भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनी ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। ज़मीन, समुद्र और हवा से दागी जा सकने वाली इस मिसाइल की गति लगभग Mach 3 है। भारत इस मिसाइल का निर्यात भी कर रहा है। फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों के साथ हुए समझौतों से भारत की रक्षा कूटनीति को नई मजबूती मिली है।

3 .LRAShM: भारत की हाइपरसोनिक शक्ति

LRAShM, भारत की नवीनतम हाइपरसोनिक मिसाइल है जिसे 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक समुद्री लक्ष्यों को भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी हाइपरसोनिक गति (Mach 5+ से अधिक ) हैं। इस मिसाइल के दम पर अमेरिका, रूस और चीन के बाद अब भारत next-generation warfare में प्रवेश कर चुका है।

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