यूपी में 'जाति प्रमाण पत्र' को लेकर एक बड़ा अपडेट!

नई दिल्ली/लखनऊ — सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था से जुड़े एक अहम और दूरगामी असर वाले फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का लाभ केवल आरक्षित श्रेणी से संबंधित होने के आधार पर नहीं दिया जा सकता। अगर उम्मीदवार द्वारा जाति प्रमाणपत्र विज्ञापन में मांगे गए निर्धारित प्रारूप में नहीं प्रस्तुत किया गया है, तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, भले ही वह संबंधित श्रेणी का ही क्यों न हो।

मामले की पृष्ठभूमि:

यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) द्वारा निकाली गई भर्ती से जुड़ा है। एक अभ्यर्थी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आवेदन किया था और प्रमाणस्वरूप केंद्र सरकार के लिए मान्य OBC प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया। लेकिन भर्ती विज्ञापन में यह स्पष्ट निर्देश था कि उम्मीदवार को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के निर्धारित प्रारूप में OBC प्रमाणपत्र जमा करना होगा।

बता दें की प्रारूप में अंतर होने के कारण बोर्ड ने उम्मीदवार को अनारक्षित श्रेणी में मानते हुए उसे चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया। उम्मीदवार ने इस निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा: "भर्ती विज्ञापन की शर्तों का पालन करना प्रत्येक उम्मीदवार का नैतिक और कानूनी कर्तव्य है। आरक्षण जैसी व्यवस्था में यदि प्रमाणपत्र की सत्यता या प्रारूप को लेकर ढील दी जाती है, तो इससे पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठता है।" कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार के तहत भर्ती के लिए प्रमाणपत्र भी राज्य सरकार के मानदंडों के अनुसार ही मान्य होगा। केंद्रीय प्रारूप का इस्तेमाल राज्य स्तरीय भर्तियों में नहीं किया जा सकता, जब तक कि विज्ञापन में उसकी अनुमति न दी गई हो।

भविष्य के उम्मीदवारों के लिए सबक:

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल इस एक मामले में मार्गदर्शन करता है, बल्कि यह सभी भावी अभ्यर्थियों के लिए एक चेतावनी और मार्गदर्शक बन गया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि: प्रारूप की त्रुटि कोई तकनीकी भूल नहीं मानी जाएगी, बल्कि यह भर्ती से वंचित किए जाने का वैध आधार हो सकता है। जातीय प्रमाणपत्र का स्वरूप और प्राधिकरण वही होना चाहिए, जो विज्ञापन में उल्लिखित हो। इसलिए किसी भी भर्ती के आवेदन से पहले दिशा-निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ना और पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

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