मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जब पैतृक संपत्ति को परिवार के सदस्यों, जीवित व्यक्ति और उसके तीन पूर्ववर्ती पीढ़ियों के बीच बांटा जाए, तब इसमें लगने वाला स्टांप शुल्क किसी भी स्थिति में 5,000 रुपये से अधिक न हो। इस कदम से आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जो पहले भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी के चलते संपत्ति बंटवारे से बचते थे या विवादों में उलझ जाते थे।
ऑनलाइन व्यवस्था को लेकर भी सीएम सख्त
बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि विभाग की ओर से कई सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें स्टांप का ऑनलाइन सृजन, संपत्ति के भारमुक्त प्रमाण पत्र, कृषि बंधक विलेखों की ई-फाइलिंग, अप्रयुक्त स्टांप की ऑनलाइन वापसी और डिजिलॉकर के माध्यम से विवाह पंजीकरण व अन्य प्रमाण पत्रों की उपलब्धता शामिल है।
मुख्यमंत्री ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए निर्देश दिया कि अधिक से अधिक कार्यों को तकनीक से जोड़ा जाए ताकि जनता को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को और तेज किया जाए।
यूपी सरकार के इस फैसले से क्या होगा फायदा?
इस फैसले से न केवल पारिवारिक विवादों में कमी आएगी बल्कि गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भी आर्थिक राहत मिलेगी। पहले जहां संपत्ति का विभाजन करने में हजारों रुपये खर्च होते थे, अब यह प्रक्रिया मात्र 10,000 रुपये (स्टांप और रजिस्ट्रेशन मिलाकर) में पूरी की जा सकेगी।
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