बिहार के सरकारी स्कूलों में बड़े बदलाव की तैयारी

पटना: बिहार के सरकारी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में जल्द ही एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्य के 9463 स्कूलों में भाषा प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जो विद्यार्थियों के लिए भाषा कौशल के विकास में सहायक सिद्ध होंगी। ये प्रयोगशालाएं विद्यार्थियों को भाषा शिक्षण को रोचक और सृजनात्मक रूप से सीखने का अवसर प्रदान करेंगी।

भाषा प्रयोगशालाओं की स्थापना

बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 के तहत इन प्रयोगशालाओं का उद्देश्य विद्यार्थियों के रचनात्मक लेखन कौशल को बढ़ावा देना है। विद्यार्थियों को कविता, नाटक, चित्रकला, और अन्य सृजनात्मक कार्यों के माध्यम से अपनी भाषायी दक्षता को विकसित करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, पुस्तकालय और कंप्यूटर की भी व्यवस्था की जाएगी, ताकि विद्यार्थी इन माध्यमों का उपयोग कर अधिक प्रभावी ढंग से सीख सकें।

रचनात्मक लेखन को मिलेगा बढ़ावा

भाषा प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को न केवल लेखन, बल्कि कला और अभिव्यक्ति के विविध रूपों को विकसित करने का अवसर मिलेगा। वे कविता लिखेंगे, कहानी बनाएंगे, अनुभव साझा करेंगे, चित्रों के माध्यम से विचार व्यक्त करेंगे और लघु नाटक लिखेंगे। इन सृजनात्मक कार्यों के जरिए छात्र अपनी भाषायी और रचनात्मक क्षमता को बेहतर बना पाएंगे।

भाषा शिक्षण को आकर्षक बनाना है जरूरी

पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि विद्यालयों में भाषा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। कई कारणों से, विद्यार्थियों को भाषा के विभिन्न आयामों में दक्षता हासिल करने में कठिनाई हो रही थी। अब, यह बदलाव छात्रों को संप्रेषण कला, संवाद और अन्य भाषायी कौशल में निपुण बनाने में मदद करेगा।

बाल साहित्य और सरल भाषा की अहमियत

इसके अलावा, राज्य में यह भी सुझाव दिया गया है कि बच्चों के लिए स्थानीय भाषाओं में बाल साहित्य की उपलब्धता बढ़ाई जाए और उसे लिपिबद्ध किया जाए। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए भाषा को सरल और सहज बनाना है, ताकि वे आसानी से समझ सकें और उसमें रुचि ले सकें।

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