शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि शिक्षकों के वेतन, बकाया राशि तथा सेवानिवृत्त शिक्षकों को मिलने वाले सेवांत लाभ में देरी की शिकायतें अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। यदि किसी जिले में इस प्रकार की देरी पाई जाती है, तो संबंधित डीईओ और डीपीओ से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और आवश्यक कार्रवाई भी की जा सकती है।
निगरानी के लिए बना विशेष सेल
समस्या की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने मुख्यालय स्तर पर एक निगरानी सेल (Monitoring Cell) का गठन किया है। इस सेल की जिम्मेदारी होगी कि वह राज्य के सभी जिलों में शिक्षकों को वेतन एवं सेवांत लाभ की अदायगी की स्थिति पर नजर रखे। इस कार्य के लिए विशेष सचिव एवं जन शिक्षा निदेशक अनिल कुमार को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है।
वहीं, विभागीय योजनाओं एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन तथा प्रगति की निगरानी हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया गया है। इस समिति के साथ समन्वय बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग के उप निदेशक प्रशासन जावेद अहसन अंसारी को भी नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। उन्हें संविदा एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों के अवकाश, वेतन और मानदेय से संबंधित मामलों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
जवाबदेही तय, लापरवाही नहीं बर्दाश्त
शिक्षा विभाग के इस कदम से स्पष्ट है कि अब शिक्षकों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्त होने के बाद सेवांत लाभ प्राप्त न होने की समस्या से राहत मिलने वाली है। विभागीय आदेश से यह संदेश भी साफ है कि जवाबदेही तय होने के बाद कोई भी अधिकारी अपने कर्तव्यों में लापरवाही नहीं बरत सकेगा।
विभाग की ओर से यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब राज्यभर में शिक्षकों की ओर से समय पर वेतन न मिलने की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं। अब उम्मीद की जा रही है कि इस सख्त कदम से न सिर्फ शिक्षकों को राहत मिलेगी बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी बढ़ेगा।
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