बता दें की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस योजना का विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर सरल और सुलभ ऋण उपलब्ध कराया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, "किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में कृषक समृद्धि योजना एक दूरदर्शी और किसान-हितैषी पहल साबित होगी।"
नाबार्ड और सहकारी बैंकों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार नाबार्ड और सहकारी बैंकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगी। सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी शाखाओं के आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना का क्रियान्वयन प्रभावी और समयबद्ध हो। साथ ही उन्होंने पारदर्शिता और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में शामिल करने का निर्देश भी दिया।
किसानों की आय में होगी उल्लेखनीय वृद्धि
इस योजना से लाभान्वित होकर राज्य के लाखों किसानों को कम ब्याज दरों पर ऋण मिल सकेगा, जिससे वे खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकेंगे और अपनी उत्पादकता में वृद्धि कर पाएंगे। इससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
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