यूपी में जमीन का पुराना कागज मिलेगा ऑनलाइन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेजों को डिजिटल रूप देने की दिशा में योगी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार अब 1990 से पहले के समस्त राजस्व अभिलेखों के डिजिटलीकरण की योजना पर तेजी से काम शुरू करने जा रही है। यह ऐतिहासिक पहल प्रदेश की जनता को न केवल बड़ी राहत देने वाली है, बल्कि सरकारी कार्यप्रणाली को भी अधिक पारदर्शी और दक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार मानी जा रही है।

डिजिटलीकरण की तीन चरणों में योजना

1 .पहला चरण (2002 से 2017 तक के कागज): इस अवधि के दस्तावेजों का डिजिटलीकरण 95% तक पूर्ण हो चुका है।

2 .दूसरा चरण (1990 से 2001 तक के कागज): इस चरण के लिए यूपीडीईएससीओ द्वारा निविदा प्रक्रिया चल रही है।

3 .तीसरा चरण (1990 से पहले के कागज): अब सबसे पुराने दस्तावेजों के डिजिटलीकरण का काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए कार्यदायी संस्था का चयन किया जा रहा है।

क्या होगा इस परियोजना का लाभ?

आपको बता दें की इस नई परियोजना से यूपी के लोगों को जमीन से जुड़े पुराने से पुराने दस्तावेज जैसे भू-नक्शा, खतौनी, खसरा और रजिस्ट्री आदि एक क्लिक में ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इससे लोगों को जमीन के कागज के लिए भागदौड़ करनी नहीं पड़ेगी।

केंद्र सरकार से भी मिली आर्थिक सहायता

इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए केंद्र सरकार ने भी सहयोग दिया है। 121 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 46 करोड़ रुपये से अधिक पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इस राशि का उपयोग आवश्यक तकनीकी संसाधनों और स्कैनिंग प्रक्रिया को मजबूत करने में किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रदेश में जमीन से जुड़े सभी अभिलेखों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए विस्तृत डेटा बैंक बनाया जाएगा, ताकि किसी भी नागरिक को अपने दस्तावेजों के लिए कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें।

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