तेजस-Mk2 को पुराने मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर जैसे विमानों की जगह लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जब तक भारत की पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) पूरी तरह तैयार नहीं हो जाता, तब तक तेजस-Mk2 वायुसेना की रीढ़ बनेगा।
इस फाइटर जेट में General Electric का शक्तिशाली F414-INS6 इंजन लगाया गया है, जो इसे और भी ज्यादा गतिशील और तेज बनाता है। इसके अलावा इसमें उन्नत AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और अत्याधुनिक हथियार प्रणाली भी शामिल है। यह विमान हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों को भी आसानी से ले जाने में सक्षम होगा।
विशेष बात यह है कि तेजस-Mk2 का कॉकपिट नाइट विजन गॉगल्स (NVGs) से पूरी तरह सुसंगत होगा। यानी अंधेरे में भी यह विमान बिना किसी परेशानी के दुश्मन पर सटीक वार कर सकेगा। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अनुसार, इस वर्ष के अंत तक तेजस-Mk2 की पहली उड़ान संभव है। सरकार की योजना है कि 2035 तक लगभग 120 से 180 तेजस-Mk2 विमानों को वायुसेना में शामिल किया जाए, जिससे भारत की रक्षा तैयारियों को नया बल मिलेगा।
यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और बड़ा मील का पत्थर साबित होगा और भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में लाकर खड़ा करेगा जो अपने दम पर चौथी पीढ़ी से ऊपर के लड़ाकू विमान विकसित करने में सक्षम हैं।
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