डैसो एविएशन ने दी हरी झंडी
राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डैसो एविएशन (Dassault Aviation) ने भारत की स्वदेशी हथियार प्रणालियों को राफेल जेट्स में एकीकृत करने की मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि अब राफेल भी 'मेड इन इंडिया' ब्रह्मोस-एनजी से लैस होंगे, जिससे राफेल की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
2026 से शुरू होगा परीक्षण
सूत्रों के मुताबिक, ब्रह्मोस-एनजी का परीक्षण 2026 में शुरू होगा। इसके उत्पादन के लिए लखनऊ में एक नया सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह मिसाइल भविष्य में राफेल, सुखोई-30 MKI और तेजस Mk1A जैसे लड़ाकू विमानों का मुख्य हथियार बनेगी। राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट में ब्रह्मोस-एनजी की तैनाती भारत की ‘सर्जिकल स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ को और मजबूत करेगी। अब सीमाओं पर दुश्मन की हलचल का जवाब और भी तेज़, सटीक और घातक तरीके से दिया जा सकेगा।
PAK और चीन की नींद हराम
इस डवलपमेंट से पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन भी भारत की नई हवाई ताकत से सतर्क हो गया है। ब्रह्मोस-एनजी की तैनाती एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है, जिससे भारत की सैन्य तैयारियां 21वीं सदी के सबसे आधुनिक स्टैंडर्ड पर पहुंच जाएंगी।
ब्रह्मोस-NG: छोटे आकार में घातक ताकत
ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-Next Generation) मूल ब्रह्मोस मिसाइल का हल्का, तेज और कॉम्पैक्ट संस्करण है। इसमें कई हाईटेक फीचर्स शामिल हैं:
रेंज: 290 किलोमीटर
स्पीड: 3.5 मैक (करीब 4170 किमी/घंटा)
स्टील्थ डिजाइन: कम रडार क्रॉस सेक्शन (RCS)
सटीकता: AESA रडार और एडवांस सीकर से लैस
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