पृष्ठभूमि: एक लंबा संघर्ष
शिक्षामित्रों की यह लड़ाई आज की नहीं है। पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के दौरान लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह समायोजन रद्द कर दिया गया। परिणामस्वरूप, ये सभी वापस शिक्षामित्र की भूमिका में आ गए और उन्हें ₹10,000 मानदेय पर उन्हीं विद्यालयों में कार्यरत रखा गया।
समायोजन की दिशा में बढ़ता कदम
जनवरी 2025 में सरकार ने आदेश जारी किया था कि शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजा जाए। अगर वहां स्थान खाली न हो, तो नजदीकी विद्यालयों में समायोजन किया जाए। लेकिन यह आदेश लागू नहीं हो सका। हाल ही में, 6 जून को बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने शासन को पत्र लिखकर समायोजन की अनुमति मांगी, जिस पर अब स्वीकृति मिल गई है। इसके साथ ही प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है।
ऑनलाइन प्रक्रिया पर विचार
शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी होने के बाद, राज्य भर के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के आधार पर खाली पदों की सूची तैयार की जाएगी। इसके आधार पर संबंधित जिलों के शिक्षामित्रों को उनके गृह जनपद या आसपास के विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। विभाग ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन लेने और समायोजन करने की योजना बना रहा है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और प्रक्रिया सुगम हो।
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