8वें वेतन आयोग: कर्मचारियों ने रखीं 3 बड़ी डिमांड

नई दिल्ली। भारत के केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वां वेतन आयोग (8th Central Pay Commission - 8th CPC) एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है। खासतौर पर जब जनवरी 2026 से इसके लागू होने की संभावनाएं हैं, तब तक इससे जुड़े प्रारंभिक कार्यों में हो रही देरी ने लाखों लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इसी क्रम में भारत के पेंशनभोगियों की एक प्रमुख संस्था भारत पेंशनर्स समाज (BPS) ने सरकार के समक्ष तीन अहम मांगें रखी हैं।

8वें वेतन आयोग में देरी को लेकर बढ़ी चिंता

BPS के महासचिव एस.सी. माहेश्वरी द्वारा वित्त मंत्री और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के सचिव को भेजे गए पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि सरकार ने जनवरी 2025 से 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन उसके बाद से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। आयोग के Terms of Reference (ToR) अब तक तय नहीं हुए हैं और न ही इसके अध्यक्ष या सदस्यों की घोषणा की गई है।

यह देरी न केवल कर्मचारियों और पेंशनरों में असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है, बल्कि इससे सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी और अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया है, जिससे पेंशनरों का मनोबल गिर रहा है। इसलिए सरकार इस विषय पर जल्द कदम बढ़ाए। 

BPS की सरकार से 3 प्रमुख मांगें

1 .आयोग के ToR को शीघ्र अंतिम रूप दिया जाए

आयोग के कार्यक्षेत्र और दायरे को स्पष्ट करना आवश्यक है ताकि वह तय मापदंडों के आधार पर वेतन और पेंशन में सुधार का खाका तैयार कर सके।

2 .आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की तत्काल नियुक्ति की जाए

बिना नेतृत्व के आयोग की प्रक्रिया ठप है। अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति से आयोग सक्रिय रूप से कार्य शुरू कर सकेगा।

3 .पेंशनरों का आयोग में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए

पेंशनभोगियों के मुद्दे अलग और विशिष्ट होते हैं, इसलिए उनकी समस्याओं की आवाज को आयोग में स्थान मिलना जरूरी है।

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