क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जिसके आधार पर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी को गुणा कर नई सैलरी तय की जाती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹20,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 है, तो उसका नया वेतन ₹57,200 हो सकता है (20,000 × 2.86)।
कितना हो सकता है फिटमेंट फैक्टर?
वर्तमान में जो चर्चाएं चल रही हैं, उनके अनुसार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.90 से 1.95 के बीच रह सकता है। हालांकि कुछ कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इसे 2.86 तक रखा जाना चाहिए, ताकि बढ़ती महंगाई को देखते हुए कर्मचारियों को वाजिब वेतन मिल सके। लेकिन सरकार ऐसा करने से पहले महंगाई भत्ते (DA) को एक नई संरचना में समायोजित करने का विचार कर रही है।
कितना बढ़ेगा वेतन?
अगर सरकार फिटमेंट फैक्टर 1.95 तय करती है, तो उदाहरण स्वरूप किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी ₹20,000 है, तो:
नई बेसिक सैलरी = ₹20,000 × 1.95 = ₹39,000
यानि कि कुल वेतन (भत्तों सहित) में लगभग 50% तक की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
लेकिन अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो जाता है, तो:
नई बेसिक सैलरी = ₹20,000 × 2.86 = ₹57,200
ऐसे में कुल बढ़ोतरी 100% से अधिक हो सकती है।
8वें वेतन आयोग के लागू होने में कितना समय लग सकता है?
अब तक के इतिहास को देखते हुए किसी भी वेतन आयोग की रिपोर्ट आने में 18 से 26 महीने का समय लग जाता है। छठा वेतन आयोग: गठन के बाद रिपोर्ट आने में 18 महीने लगे, सातवां वेतन आयोग: गठन (सितंबर 2013) से रिपोर्ट (नवंबर 2015) तक लगभग 26 महीने। इसलिए अगर 8वें वेतन आयोग का गठन 2025 के अंत तक भी हो पाता है, तो इसकी सिफारिशें 2027 तक ही लागू हो पाएंगी।
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