स्पर्म निर्माण की शुरुआत: कब और कैसे?
लड़कों में शुक्राणु निर्माण (Spermatogenesis) की प्रक्रिया सामान्यतः 12 से 16 वर्ष की आयु के बीच शुरू होती है। यह उम्र व्यक्ति विशेष, जेनेटिक फैक्टर्स, पोषण और हार्मोनल संतुलन पर निर्भर करती है। कुछ बच्चों में यह प्रक्रिया 11 साल की उम्र में भी शुरू हो सकती है, जबकि कुछ में यह 17 साल तक पहुंचकर सक्रिय होती है।
इस परिवर्तन का मुख्य कारण होता है मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि की सक्रियता, जो ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) का स्राव करती हैं। ये हार्मोन सीधे तौर पर वृषण (Testes) को उत्तेजित करते हैं, जिससे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बनता है और शुक्राणु निर्माण शुरू होता है।
टेस्टोस्टेरोन और प्रजनन क्षमता
टेस्टोस्टेरोन ही वह प्रमुख हार्मोन है, जो लड़कों में यौन विशेषताओं के विकास के लिए ज़िम्मेदार होता है—जैसे कि आवाज़ का भारी होना, चेहरे और शरीर पर बाल उगना, मांसपेशियों का विकास और यौन इच्छा का उदय। इसी हार्मोन की उपस्थिति में वृषण की सेमिनिफेरस ट्यूब्स में शुक्राणु बनते हैं।
नाइटफॉल और पहला संकेत
बहुत से किशोरों को अपने शरीर में हुए इस बदलाव का पहला संकेत "नाइटफॉल" यानी नींद में अनायास वीर्य स्खलन के रूप में मिलता है। यह घटना आमतौर पर 13 से 15 वर्ष की उम्र में होती है और यह इस बात का प्रमाण होती है कि शरीर अब प्रजनन के लिए तैयार हो चुका है।
क्यों जरूरी है जानकारी?
भारत जैसे देश में जहां यौन शिक्षा अभी भी एक संवेदनशील विषय मानी जाती है, वहां किशोरों को उनके शरीर में होने वाले बदलावों की स्पष्ट, वैज्ञानिक और संवेदनशील जानकारी देना ज़रूरी है। सही जानकारी से न सिर्फ भ्रांतियों का समाधान होता है, बल्कि यह आत्मविश्वास, स्वच्छता और मानसिक संतुलन को भी बढ़ावा देती है।
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