Tejas MK1A: भारत अब तैयार है नई ताकत के साथ

नई दिल्ली। भारत की सैन्य ताक़त अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है। स्वदेशी तकनीक से बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk1A की पहली खेप इसी महीने भारतीय वायुसेना को सौंपी जाएगी। इससे न सिर्फ देश की सुरक्षा क्षमताएं और मजबूत होंगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी पहलों को भी नई उड़ान मिलेगी।

तीन साल बाद सौंपा जाएगा पहला तेजस Mk1A

फरवरी 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रक्षा मंत्रालय के बीच हुए ₹48,000 करोड़ के करार के तहत 83 तेजस Mk1A विमानों की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी। लेकिन अमेरिका की कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) से मिलने वाले F404-IN20 इंजन की सप्लाई में देरी के कारण यह योजना करीब सवा साल पीछे चली गई।

अब HAL के मुताबिक इंजन की आपूर्ति शुरू हो चुकी है और फ्लाइंग टेस्ट की अंतिम प्रक्रिया के बाद यह फाइटर विमान वायुसेना के बेड़े में आधिकारिक रूप से शामिल हो जाएगा। इस साल के अंत तक वायुसेना को 12 तेजस Mk1A विमान सौंपे जाने की संभावना है।

तेजस किसकी जगह लेगा?

तेजस Mk1A धीरे-धीरे MiG-21, MiG-27, और जगुआर जैसे पुराने विमानों की जगह लेगा, जिन्हें अब रिटायर किया जा रहा है। वायुसेना को पूरी क्षमता के साथ ऑपरेट करने के लिए 42 स्क्वॉड्रन की आवश्यकता होती है, जबकि मौजूदा समय में यह संख्या घटकर 30 स्क्वॉड्रन रह गई है। ऐसे में तेजस Mk1A की तैनाती बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

भविष्य की दिशा: Mk1A से लेकर Mk2 तक

सरकार ने HAL के साथ कुल 180 तेजस Mk1A विमानों के लिए सौदा किया है। दूसरी खेप में ₹67,000 करोड़ में 97 विमान खरीदे जाएंगे। इसके अलावा, तेजस Mk2 का विकास भी तेजी से हो रहा है और इसका पहला विमान 2028-29 तक वायुसेना को मिल सकता है। अगले 10 वर्षों में 350 से अधिक तेजस जेट वायुसेना के बेड़े में शामिल हो सकते हैं।

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