भारत की बढ़ती ड्रोन शक्ति: चीन-पाक की उड़ी नींद

नई दिल्ली। भारत अपनी सैन्य शक्ति को तेजी से आधुनिक बना रहा है, और इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं ‘सुसाइड ड्रोन’, जिन्हें लोइटरिंग म्युनिशन या कामिकेज़ ड्रोन भी कहा जाता है। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता ने भारतीय रक्षा रणनीति को एक नई दिशा दी है, जिससे अब रक्षा मंत्रालय ने लंबी दूरी के एडवांस ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक हथियारों की खरीद को मंजूरी दे दी है।

क्या होते हैं सुसाइड ड्रोन?

सुसाइड ड्रोन आधुनिक युद्ध का एक क्रांतिकारी हथियार हैं। इनकी विशेषता यह है कि ये पारंपरिक ड्रोन और मिसाइल दोनों की विशेषताएं एक साथ समेटे हुए होते हैं। इन्हें ‘कामिकेज़ ड्रोन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये लक्ष्य पर खुद को टकरा कर विस्फोट करते हैं, ठीक वैसे जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी कामिकेज़ पायलट करते थे।

मुख्य विशेषताएँ:

1 .लंबे समय तक मंडराने की क्षमता: ये दुश्मन के इलाके में काफी देर तक घूम सकते हैं और सही लक्ष्य की तलाश कर सकते हैं।

2 .सटीक लक्ष्य भेदन: इनमें लगे हाई-टेक सेंसर दुश्मन की गतिविधियों को पहचानते हैं और सटीक समय पर हमला करते हैं।

3 .कम लागत, अधिक प्रभाव: पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में ये सस्ते होते हैं, लेकिन नुकसान पहुंचाने की क्षमता काफी अधिक होती है।

4 .रडार चकमा देने में सक्षम: इनकी गति और संचालन प्रणाली ऐसे डिजाइन की गई है कि ये दुश्मन के रडार को चकमा दे सकते हैं।

रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद, रक्षा मंत्रालय ने जो फैसला लिया है वह केवल तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है। मंत्रालय ने: लंबी दूरी के एडवांस लोइटरिंग म्युनिशन, बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें, आर्टिलरी शेल और कामिकेज ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी है। यह तैयारी चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अब अपने बचाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जवाबी हमला करने में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।

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