बिहार में 1000 लड़कों पर 891 लड़कियां, रिपोर्ट में खुलासा

पटना। नवीनतम नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में जन्म के समय लिंगानुपात में चिंताजनक गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में वर्ष 2022 के आंकड़ों को आधार बनाते हुए बताया गया है कि राज्य में प्रति 1000 लड़कों पर केवल 891 लड़कियों का जन्म हुआ। यह आंकड़ा न केवल राष्ट्रीय औसत (943 लड़कियाँ प्रति 1000 लड़के) से काफी नीचे है, बल्कि यह पूरे देश में सबसे न्यूनतम लिंगानुपात को दर्शाता है।

दो वर्षों में 73 अंकों की गिरावट

बिहार में लिंगानुपात वर्ष 2020 में 964 था, जो 2021 में घटकर 908 हो गया और 2022 में यह और गिरकर 891 पर पहुंच गया। मात्र दो वर्षों में 73 अंकों की गिरावट यह दर्शाती है कि राज्य में लिंगानुपात को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। यह गिरावट समाज में लड़कियों के प्रति गहरी जड़ें जमा चुकी लैंगिक असमानता और पक्षपातपूर्ण सोच का परिणाम हो सकती है।

जनसंख्या में भारी अंतर

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2022 में बिहार में कुल 30.70 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 14.70 लाख लड़के और 13.10 लाख लड़कियाँ थीं। यह अंतर 1.60 लाख का है, जो देशभर में सबसे अधिक है। प्रतिशत के अनुसार देखें तो 52.4% लड़कों की तुलना में केवल 47.6% लड़कियों का जन्म हुआ।

सामाजिक और नैतिक प्रभाव

बिहार में लगातार गिरता लिंगानुपात न केवल सामाजिक असमानता को उजागर करता है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में समाजिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। भविष्य में विवाह के अवसरों में असमानता, महिलाओं की भूमिका को सीमित करने वाली सोच को और बल मिल सकता है।

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