5 जून तक मांगे गए हैं परिसीमन प्रस्ताव
पंचायत चुनाव से पहले प्रशासनिक पुनर्गठन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी जिलों से आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून तक मांगे गए हैं। पिछले चुनाव के बाद कई ग्राम पंचायतों और राजस्व गांवों को शहरी निकायों में शामिल कर लिया गया था, जिससे संबंधित क्षेत्रों में जनसंख्या मानकों और प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव आया है। ऐसे में अब इन गांवों को ग्राम पंचायत की सूची से हटाकर, शेष बचे गांवों के साथ पुनर्गठित किया जाएगा। नगर विकास विभाग को इस संबंध में पत्र भेजकर उन ग्राम पंचायतों की जानकारी देने को कहा गया है जो अब नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद या नगर निगम की सीमा में शामिल हो चुकी हैं।
मतपेटियों के लिए जारी हुआ टेंडर
निर्वाचन आयोग ने चुनावी तैयारियों को धार देते हुए एक लाख मतपेटियों के लिए टेंडर जारी कर दिया है। यह कदम पंचायत चुनाव को समयबद्ध और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने की दिशा में अहम माना जा रहा है। चुनाव के तहत राज्य में 57,691 ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 3,200 जिला पंचायत सदस्य, 75 जिला पंचायत अध्यक्ष, और 826 ब्लॉकों के प्रमुख चुने जाएंगे।
2026 की शुरुआत में आ सकती है अधिसूचना
पंचायती राज विभाग के अनुसार, वर्तमान ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है। चूंकि 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पंचायत चुनाव से संबंधित अधिसूचना 2026 की शुरुआत में ही जारी कर दी जाएगी। इससे पहले परिसीमन, मतदाता सूची पुनरीक्षण और अन्य तैयारियों को समय रहते पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
क्यों जरूरी है परिसीमन?
शहरी सीमा विस्तार के चलते कई ग्राम पंचायतें अब शहरी निकायों में शामिल हो चुकी हैं।
जनसंख्या घटने से कई पंचायतें मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं।
नए परिसीमन से प्रशासनिक पारदर्शिता और चुनावी निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी।
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