सरकार के इस फैसले को शहरी स्थानीय निकायों की स्वायत्तता और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। नए नियमों से निकायों को अब छोटे-छोटे विकास कार्यों के लिए उच्च स्तर से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे विकास परियोजनाओं में तेजी आने की उम्मीद है।
क्या है बदलाव का असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से विकास की गति तेज होगी, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में। पहले छोटी परियोजनाओं को भी राज्य स्तर पर स्वीकृति के लिए भेजना पड़ता था, जिससे फाइलें महीनों तक अटकी रहती थीं। अब स्थानीय निकाय अपने क्षेत्र की जरूरतों के मुताबिक त्वरित निर्णय लेकर विकास कार्य आरंभ कर सकेंगे।
सरकार की मंशा
राज्य सरकार का कहना है कि यह निर्णय "आत्मनिर्भर भारत" और "सबका साथ, सबका विकास" के विजन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शहरी निकायों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता देकर उन्हें स्थानीय स्तर पर जवाबदेह और सशक्त बनाया जा रहा है। इससे विकास में तेजी आएगी और आम लोग को इससे काफी फायदा होगा।

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