सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) और इसके अधीन सभी वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) — केस्को (KESCO), मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल और दक्षिणांचल — में यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू रहेगा। इसका मतलब है कि अगले छह महीने तक बिजली विभाग से जुड़ा कोई भी कर्मचारी हड़ताल या काम बंदी नहीं कर सकेगा।
विरोध के स्वर और निजीकरण का मुद्दा
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के संभावित निजीकरण के विरोध में बीते कुछ महीनों से बिजली कर्मचारी और यूनियनें लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। यूनियनों का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, साथ ही कर्मचारियों की नौकरियों पर भी खतरा मंडराने लगेगा।
हालांकि सरकार और पावर कॉरपोरेशन का तर्क है कि निजीकरण से सेवाओं में सुधार होगा और तकनीकी खामियों को दूर किया जा सकेगा। लेकिन कर्मचारियों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा था, जिससे किसी भी वक्त बड़े स्तर की हड़ताल की आशंका बन गई थी।
एस्मा: क्या है और क्यों लगाया गया?
एस्मा (Essential Services Maintenance Act) एक ऐसा कानून है जिसे आवश्यक सेवाओं की सतत आपूर्ति बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है। बिजली जैसी बुनियादी सेवा में किसी भी तरह की बाधा आम जनता के जीवन को प्रभावित कर सकती है, इसलिए सरकार इस कानून के तहत कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध घोषित कर सकती है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी दिसंबर 2024 में एस्मा को छह महीने के लिए लागू किया गया था। अब इसे एक बार फिर बढ़ा दिया गया है, जिससे साफ है कि सरकार किसी भी स्थिति में विद्युत सेवा को बाधित नहीं होने देना चाहती।
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