वेतन आयोग: हर दस साल में बड़ा बदलाव
केंद्र सरकार हर एक दशक में वेतन आयोग का गठन करती है ताकि कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन को मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपडेट किया जा सके। 7वें वेतन आयोग के बाद अब 8वें वेतन आयोग को जनवरी 2025 में केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है, और इसके तहत कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं।
लेवल मर्जर: एक नया युग?
8वें वेतन आयोग के प्रस्तावों में सबसे बड़ा बदलाव वेतन स्तरों की संरचना में देखने को मिल सकता है। मौजूदा लेवल 1 से लेवल 6 तक के वेतन स्तरों को घटाकर तीन श्रेणियों—A, B और C में बदला जा सकता है। इस बदलाव का मकसद है वेतन विसंगतियों को दूर करना, प्रमोशन प्रक्रिया को सरल बनाना और प्रशासनिक बोझ को कम करना।
नया स्तर मौजूदा लेवल्स का मर्जर
लेवल A लेवल 1 + लेवल 2
लेवल B लेवल 3 + लेवल 4
लेवल C लेवल 5 + लेवल 6
कर्मचारियों को क्या होंगे फायदे?
1 .बेसिक सैलरी में जबरदस्त उछाल: उदाहरण के तौर पर, लेवल 1 की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹18,000 से बढ़कर लेवल 2 के साथ मर्जिंग के बाद ₹34,000 तक पहुंच सकती है।
2 .प्रमोशन में तेजी: कम लेवल्स की वजह से प्रमोशन की प्रक्रिया आसान और तेज हो जाएगी, जिससे कर्मचारियों को जल्दी-जल्दी करियर ग्रोथ का मौका मिलेगा।
3 .वेतन असमानताओं का अंत: समीपवर्ती लेवल्स की विसंगतियों को खत्म करके वेतन संरचना को ज्यादा तार्किक और पारदर्शी बनाया जाएगा।
4 .प्रशासनिक सरलता: कम पे लेवल्स होने से HR और पे-रोल मैनेजमेंट की प्रक्रिया भी अधिक सुगम होगी।
किन्हें मिलेगा सबसे ज्यादा लाभ?
इस प्रस्ताव से सबसे अधिक फायदा लेवल-1, लेवल-3 और लेवल-5 पर कार्यरत कर्मचारियों को मिलेगा, क्योंकि उनका वेतन सीधे उच्च स्तरों के साथ मर्ज होगा। वहीं लेवल-2, 4 और 6 के कर्मचारियों को भी भविष्य में तेजी से प्रमोशन के अवसर मिलेंगे।
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