हेलिना मिसाइल: भारत की हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपित नाग

नई दिल्ली। भारत ने स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करते हुए अपनी तीसरी पीढ़ी की हेलीकॉप्टर-प्रक्षेपित टैंक-विरोधी गाइडेड मिसाइल 'हेलिना' (HELINA) को सफलतापूर्वक तैनात कर दिया है। इसे "हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपित नाग" के रूप में भी जाना जाता है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई एक उच्च-प्रौद्योगिकी वाली प्रणाली है।

दागो और भूल जाओ प्रणाली से लैस

हेलिना एक 'फायर एंड फॉरगेट' (दागो और भूल जाओ) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है, जो लक्ष्य को पहचानने के बाद अपने आप ट्रैक कर उसे पूरी सटीकता से ध्वस्त कर सकती है। यह मिसाइल पारंपरिक टैंकों के साथ-साथ विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA) से लैस टैंकों को भी बेअसर करने की क्षमता रखती है।

ALH ध्रुव से प्रक्षेपण

हेलिना को भारत में निर्मित 'एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर' (ALH ध्रुव) पर स्थापित किया गया है। इससे भारतीय सेना को हवाई हमलों में घातक मारक क्षमता प्राप्त हुई है। इसकी अधिकतम मारक सीमा 7 किलोमीटर तक है, जबकि यह न्यूनतम 500 मीटर की दूरी पर भी प्रभावी रूप से कार्य कर सकती है।

दृष्टि से परे हमला संभव

यह मिसाइल उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर (IIR) से लैस है, जिससे यह प्रतिकूल मौसम और कम दृश्यता की स्थिति में भी लक्ष्य को पहचान कर सटीक हमला कर सकती है। हेलिना में 'टॉप अटैक' और 'डायरेक्ट अटैक' — दोनों मोड उपलब्ध हैं, जिससे यह दुश्मन के टैंक को उसके सबसे कमजोर हिस्से पर निशाना बना सकती है।

24x7 परिचालन क्षमता

हेलिना दिन और रात, दोनों समय में, तथा हर मौसम में संचालन करने में सक्षम है, जो इसे सीमावर्ती इलाकों में तैनाती के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनाता है। यह न केवल दुश्मन की बख्तरबंद क्षमताओं को चुनौती देता हैं, बल्कि स्वदेशी रक्षा निर्माण को भी नया आयाम देता हैं।

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