यूपी में कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बड़ा अपडेट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारियों और शिक्षकों को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पेंशन में कटौती से संबंधित याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर सवाल उठाते हुए कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय सुनाया और जबरन पेंशन कटौती पर रोक लगा दी।

क्या है मामला?

याचियों की ओर से कोर्ट में दलील दी गई थी कि सेवानिवृत्ति के समय उन्होंने एकमुश्त एडवांस पेंशन ली थी, जिसकी वापसी के लिए अब उनकी मासिक पेंशन से कटौती की जा रही है। यह कटौती कर्मचारी द्वारा ली गई राशि का 1% से थोड़ा अधिक है, जिससे 10 साल 11 महीने या अधिकतम 12 साल में पूरी रकम ब्याज सहित वसूल हो जाती है।

हालांकि, राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में जारी शासनादेश के तहत इस कटौती की अवधि को 15 वर्षों तक बढ़ा दिया था, जिसे याचियों ने अवैध और अन्यायपूर्ण बताया। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के इस कदम को विधिक प्रक्रिया के तहत नहीं माना और मामले की समीक्षा के लिए गठित कमेटी को तीन महीने में निपटारा करने का आदेश दिया।

कमेटी को याचियों की सुनवाई का आदेश

कोर्ट ने सभी याचियों को निर्देश दिया है कि वे एक माह के भीतर अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार की गठित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करें। इसके बाद कमेटी को तीन महीने के भीतर प्रत्येक मामले का निस्तारण करना होगा। साथ ही, यह भी कहा गया है कि जब तक मामलों का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक याचियों की मासिक पेंशन से किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाएगी।

फिर से याचिका दाखिल करने की छूट

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई याची कमेटी के निर्णय से संतुष्ट नहीं होता है तो वह पुनः न्यायालय की शरण ले सकता है।

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