हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी: केवल 4 देश ही हैं सक्षम!

नई दिल्ली। आज की दुनिया में सैन्य ताकत केवल परमाणु हथियारों या बड़ी सेनाओं से नहीं मापी जाती, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक के विकास से भी होती है। हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी ऐसी ही एक क्रांतिकारी तकनीक है, जो किसी भी देश को सैन्य रूप से बेहद ताकतवर बना सकती है। इस दौड़ में दुनिया के केवल चार देश ही अब तक सफल हो पाए हैं। तो आइए जानते हैं कौन हैं वो देश जो इस टेक्नोलॉजी में आगे निकल चुके हैं।

क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी मिसाइलें होती हैं जो ध्वनि की गति से पाँच गुना (Mach 5) या उससे अधिक की रफ्तार से उड़ती हैं। ये पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में कहीं अधिक तेज, घातक और ट्रैक करने में मुश्किल होती हैं। इनकी गति, दिशा बदलने की क्षमता और लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता इन्हें खास बनाती है।

1. रूस

रूस इस तकनीक में सबसे आगे माना जाता है। उसने Avangard और Kinzhal जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें सफलतापूर्वक विकसित की हैं। Avangard को 2019 में रूसी सेना में शामिल किया गया और यह न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है। रूस दावा करता है कि उसकी मिसाइलें अमेरिका के किसी भी रक्षा सिस्टम को चकमा देने में सक्षम हैं।

2. चीन

चीन ने भी हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक में बड़ी छलांग लगाई है। उसकी DF-ZF नामक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल का परीक्षण सफल रहा है। इसके अलावा चीन ने हाल ही में एक ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया, क्योंकि वह पृथ्वी की कक्षा के आसपास चक्कर लगाकर लक्ष्य को भेद सकती है।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

अमेरिका भी इस रेस में पीछे नहीं है, लेकिन वह अभी तक हाइपरसोनिक मिसाइलों को पूरी तरह से सैन्य सेवा में नहीं ला पाया है। फिर भी, वह Hypersonic Air-breathing Weapon Concept (HAWC), ARRW (Air-Launched Rapid Response Weapon) जैसे कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है और जल्द ही इनका सैन्य इस्तेमाल शुरू होने की संभावना है।

4. भारत

भारत ने हाल ही में इस क्षेत्र में कदम रखा है लेकिन तेजी से प्रगति कर रहा है। DRDO द्वारा विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण 2020 में हुआ था। इसके अलावा भारत ब्रह्मोस-II जैसी हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल पर भी काम कर रहा है।

क्यों पीछे हैं बाकी देश?

हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक अत्यंत जटिल, महंगी और रिसर्च-इंटेंसिव होती है। इसे विकसित करने के लिए सुपीरियर एरोस्पेस टेक्नोलॉजी, कंपोजिट मटेरियल्स और सुपरसोनिक विंड टनल्स जैसी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। यही कारण है कि अब तक केवल कुछ ही देश इस तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित कर पाए हैं।

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