इस योजना को शिक्षा विभाग ने अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को प्रशिक्षण कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), बिपार्ड पटना, बिपार्ड गया सहित अन्य संस्थान प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेंगे।
आवासीय प्रशिक्षण होगा अनिवार्य
शिक्षकों को दिया जाने वाला यह प्रशिक्षण आवासीय होगा और इसकी व्यवस्था जिला स्तर पर स्थित डायट संस्थानों में की जाएगी। इस प्रशिक्षण में सभी शिक्षकों की सहभागिता अनिवार्य होगी। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक इस प्रशिक्षण में हिस्सा नहीं लेंगे, उनके वेतन पर रोक लगाई जाएगी और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
प्रशिक्षण से होगा कार्यक्षमता में सुधार
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि यह योजना स्कूली शिक्षा की बेहतरी और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बनाई गई है। प्रशिक्षण के जरिए शिक्षकों को नवीन शैक्षणिक दृष्टिकोण और तकनीकों की जानकारी दी जाएगी, जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होगा और वे छात्रों को और बेहतर तरीके से पढ़ा सकेंगे।
प्रशिक्षण के आधार पर होगा मूल्यांकन
प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों के शैक्षणिक कार्यों का मूल्यांकन भी किया जाएगा। इससे शिक्षकों की गुणवत्ता और उनकी जिम्मेदारी के प्रति सजगता का भी पता चलेगा।
सरकार की शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में अहम कदम
शिक्षा विभाग का यह कदम न सिर्फ शिक्षकों को बेहतर बनाने की दिशा में है, बल्कि राज्य में समग्र शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की भी कोशिश है। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।
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