प्रदेश के सरकारी विभागों, स्कूलों और निकायों में कुल मिलाकर लगभग 17.78 लाख कर्मचारी तैनात हैं। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि संविदा कर्मियों को केवल अत्यंत आवश्यक स्थिति में समूह ‘ग’ व ‘घ’ के पदों पर ही रखा जाए। लेकिन उच्च अधिकारियों की मनमानी से सभी पदों पर संविदा कर्मी नियुक्त किए जा रहे हैं। इससे विभागों में अनुशासन और पारदर्शिता पर असर पड़ रहा है।
कार्मिक विभाग लंबे समय से संविदा कर्मियों की संख्या और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया की जानकारी मांग रहा है, लेकिन 28 विभागों से ही आंशिक जानकारी प्राप्त हो सकी है। सरकार यह जानना चाहती है कि संविदा कर्मियों को रखते समय योग्यता, पात्रता और आरक्षण नियमों का पालन किया गया है या नहीं। इसके अलावा यह भी जांचा जा रहा है कि कहीं संविदा कर्मी नियुक्ति में अनियमितता तो नहीं हो रही, जिससे अपनों को फायदा पहुंचाया जा रहा हो।
संविदा कर्मियों के लिए नई तिथि
राज्य सरकार जल्द ही संविदा कर्मियों के लिए नई नीति लाने वाली है। श्रम विभाग को संविदा, आउटसोर्स और दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मियों की सुरक्षा और उनकी नियोजित व्यवस्था के लिए नीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि संविदा कर्मियों की संख्या में असंतुलन और उच्च अधिकारियों की मनमानी से सरकारी कामकाज की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इसलिए नई नीति के तहत संविदा कर्मियों की भर्ती और नियोजन में पारदर्शिता और नियमों का सख्ती से पालन जरूरी है।
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