यूपी में नगर पंचायतों और पालिकाओं के लिए सख्त नियम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकायों में विकास कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत घटिया निर्माण कार्य पर अब केवल ठेकेदार ही नहीं, संबंधित इंजीनियरों से भी लागत का 50% वसूला जाएगा। साथ ही, नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं को अपने स्तर से बड़े प्रोजेक्ट्स कराने के अधिक वित्तीय अधिकार भी दिए गए हैं।

बड़ी लापरवाही पर सख्त दंड

एसओपी के मुताबिक, यदि किसी निर्माण कार्य में गड़बड़ी पाई जाती है, तो कुल आर्थिक क्षति की आधी राशि संबंधित ठेकेदार से और आधी राशि जिम्मेदार अभियंताओं से वसूली जाएगी। अभियंताओं की जिम्मेदारी इस प्रकार तय की गई है: 35% अवर अभियंता (JE), 10% सहायक अभियंता (AE) और 5% अधिशासी अभियंता (EE).

यदि इनमें से कोई पदाधिकारी तैनात नहीं है, तो अनुपस्थित हिस्से की भरपाई संबंधित अधिशासी अधिकारी (EO) और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से की जाएगी — जिसमें EO से 30% और अन्य अधिकारियों से 20% तक की वसूली की जा सकती है।

सड़कों की दोहराव से बचाव के लिए GIS मैपिंग

सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि निकायों को वार्डवार सड़कों की डायरी तैयार करनी होगी, जिसे अनिवार्य रूप से कार्यालय में सुरक्षित रखा जाएगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि एक ही सड़क बार-बार न बनाई जाए। इसके अलावा, सभी सड़कों की GIS मैपिंग कराई जाएगी, जिससे रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण सुनिश्चित हो सके।

विकास के लिए समेकित कार्ययोजना अनिवार्य

एसओपी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निकायों को विकास योजनाएं बेतरतीब ढंग से नहीं बनानी होंगी। अब एक समेकित कार्ययोजना तैयार करना अनिवार्य होगा, जिसमें सड़क निर्माण, जल निकासी, मार्ग प्रकाश, पेयजल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि सभी घटकों को शामिल किया जाएगा।

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