अब तक राज्य के कुल 1.48 करोड़ छात्रों में से लगभग 1.01 करोड़ बच्चों के अभिभावकों के खाते में यह राशि भेजी जा चुकी है। वहीं, शेष बचे करीब 48 लाख छात्रों में से 30 लाख को अगले एक महीने के भीतर यह धनराशि मिल जाएगी। शेष छात्र वे हैं जिनके आधार कार्ड नहीं बने हैं या जो नए प्रवेशित हैं। इनके सत्यापन के बाद अगले चरण में धन भेजा जाएगा।
सत्यापन में आ रही दिक्कतें
स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा के अनुसार, पात्र छात्रों के अभिभावकों को समयबद्ध तरीके से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि, सत्यापन प्रक्रिया में कई प्रकार की दिक्कतें सामने आ रही हैं। कई बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे उनका आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है। कुछ मामलों में अभिभावकों के बैंक खाते बंद हैं या मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहे। कई आधार कार्डों में माता-पिता या छात्र के नाम की वर्तनी में त्रुटि है, जिससे ऑनलाइन सत्यापन में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
विद्यालय स्तर पर तेजी से हो रहा कार्य
परिषदीय, राजकीय और सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित छात्रों के आधार कार्ड और उनके अभिभावकों के बैंक खातों की जानकारी विद्यालय स्तर से ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है। हेड मास्टर खुद एक-एक छात्र का विवरण लेकर पोर्टल पर अपलोड कर रहे हैं। स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों के बावजूद जिन विद्यालयों में सत्यापन कम हुआ है, उनके प्रधानाध्यापकों को व्यक्तिगत रूप से फोन कर निर्देश दिए जा रहे हैं कि समय पर कार्य पूरा किया जाए।
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में भी समस्या
विशेष रूप से छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाना चुनौती बन गया है। नियम के अनुसार, जन्म के 30 दिन बाद प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया एसडीएम स्तर से होती है, जिसमें अक्सर देरी होती है। इस कारण ऐसे बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन पा रहा और उन्हें डीबीटी का लाभ मिलने में विलंब हो रहा है।
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