बता दें की यह आईटी सिटी सुल्तानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और किसान पथ के बीच फैले 2,858 एकड़ के विशाल क्षेत्र में विकसित की जाएगी। इस योजना के तहत मोहनलालगंज तहसील के कई गांवों जैसे बक्कास, सोनई कंजेहरा, सिकन्दरपुर अमोलिया, सिद्धपुरा, परेहटा, पहाड़नगर टिकरिया, रकीबाबाद, मोहारी खुर्द, खुजौली और भटवारा की जमीन शामिल होगी।
आधुनिक और पर्यावरण-संरक्षित योजना
इस परियोजना में 72 से 200 वर्गमीटर तक के लगभग 5,000 आवासीय प्लाट बनाए जाएंगे, जिनमें ग्रुप हाउसिंग के लिए भी बड़े भूखंड आरक्षित होंगे। साथ ही, 445.65 एकड़ में औद्योगिक गतिविधियों के लिए और 260 एकड़ में व्यावसायिक क्षेत्र के लिए विशेष क्षेत्र आवंटित किए गए हैं। इससे न केवल रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी, बल्कि निजी निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
किसानों को लैंड पूलिंग से मिलेगा बड़ा लाभ
एलडीए की लैंड पूलिंग नीति को किसानों का जबरदस्त समर्थन मिला है। इस नीति के तहत किसानों को उनके खेत की तुलना में कई गुना अधिक मूल्यवान विकसित आवासीय जमीन दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, मोहारी खुर्द में जमीन का सर्किल रेट 8 लाख रुपये प्रति बीघा है, जहां सामान्य मुआवजे के तहत किसान को लगभग 32 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन लैंड पूलिंग के माध्यम से 25% विकसित आवासीय भूखंड मिलने से किसानों को 3 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होगा।
लखनऊ की आर्थिक प्रगति का नया अध्याय
यह आईटी सिटी न केवल लखनऊ के आर्थिक विकास को नई दिशा देगी, बल्कि रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करके सामाजिक समृद्धि को भी बल देगी। इसके साथ ही शहर को आधुनिक और पर्यावरण-संवेदनशील तकनीकी हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य पूरा होगा। यह योजना लखनऊ को टेक्नोलॉजी और विकास के नए युग में ले जाएगी।
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