AWACS किलर की संज्ञा क्यों?
K-100 को "AWACS किलर" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे विशेष रूप से दुश्मन के रडार और खुफिया विमानों को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन किया गया है। ये विमान युद्ध के समय दुश्मन के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम होते हैं — और इन्हें उड़ान में ही खत्म करना किसी भी वायुसेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
400 किलोमीटर तक मारक क्षमता
K-100 की सबसे बड़ी ताकत इसकी लंबी रेंज है। यह मिसाइल 200 से लेकर 400 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इस रेंज की मिसाइलें दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही हैं। इसका मतलब है कि भारतीय वायुसेना "बियॉन्ड विज़ुअल रेंज" (BVR) में भी बेहद सटीक और घातक प्रहार कर सकती है।
सटीक निशाना लगाने की क्षमता
इस मिसाइल में जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल शुरुआती मार्गदर्शन के लिए किया गया है, जबकि अंतिम चरण में यह सक्रिय रडार होमिंग तकनीक से लैस है। इसका मतलब यह है कि एक बार लक्ष्य लॉक होने के बाद, यह मिसाइल खुद-ब-खुद उसे ट्रैक कर मार गिराती है — चाहे वह कितनी भी ऊंचाई या गति से क्यों न उड़ रहा हो।
भारतीय वायुसेना के लिए नया आयाम
भारत में इस मिसाइल को सुखोई-30MKI जैसे लड़ाकू विमानों में लगाया जाता हैं। इसका मतलब यह है कि भारतीय वायुसेना के पायलट दुश्मन के सबसे संवेदनशील हवाई संसाधनों को कई सौ किलोमीटर दूर से ही खत्म कर सकते हैं वो भी, बिना उनकी रडार रेंज में आए।
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