डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अटका पूरा मामला
शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया भले ही पूरी कर ली गई हो, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा मानव संपदा पोर्टल पर समय से डाटा अपडेट न करने की वजह से शिक्षामित्रों का समायोजन अटक गया है। इस पोर्टल के माध्यम से यह तय होना था कि किस विद्यालय में कितनी रिक्तियाँ हैं और कहाँ समायोजन संभव है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह कार्य निर्धारित समयसीमा (18 अगस्त) तक पूरा नहीं हो सका।
सिस्टम में फंसे शिक्षामित्र
प्रदेश में फिलहाल लगभग 1.48 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं, जिनमें से बड़ी संख्या ने 2014 में बीटीसी व स्नातक की डिग्री के बाद सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला था। लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद वे जो टीईटी पास नहीं कर सके, उन्हें पुनः शिक्षामित्र बना दिया गया। इससे उनकी पेशेवर पहचान और स्थायित्व दोनों को गहरा आघात पहुंचा। 2018 में कुछ शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजा गया, लेकिन आज भी लगभग 35 हजार शिक्षामित्र अपने गाँव या ग्राम पंचायत से बाहर के विद्यालयों में कार्यरत हैं।
महिला शिक्षामित्रों को समस्या
एक अलग ही सामाजिक और प्रशासनिक चिंता महिला शिक्षामित्रों के साथ जुड़ी हुई है। आंकड़े बताते हैं कि 15 हजार से अधिक महिला शिक्षामित्र विवाह के बाद भी अपने पैतृक गांवों के विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से 4300 महिलाएं ऐसी हैं जिनकी शादी दूसरे जिलों में हो चुकी है। लेकिन अभी तक उनकी तैनाती में कोई बदलाव नहीं हुआ, जिससे न सिर्फ उनके पारिवारिक जीवन पर असर पड़ रहा है, बल्कि सेवा के दौरान यात्रा संबंधी कठिनाइयाँ और सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो रही हैं।
आश्वासन और आगे की राह
स्कूल शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए आश्वासन दिया है कि डाटा अपडेट की प्रक्रिया पूरी होते ही शिक्षामित्रों के समायोजन और स्थानांतरण की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। प्राथमिकता उनके मूल विद्यालयों को दी जाएगी और अगर वहाँ स्थान उपलब्ध नहीं है, तो ग्राम पंचायत के अन्य विद्यालयों में तैनाती की जाएगी।
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