क्या है नई व्यवस्था?
राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब कोई भी नियमित सरकारी कर्मचारी, जिसने कम से कम 5 साल की सेवा पूरी कर ली है, वह इस सुविधा के लिए पात्र होगा। भवन निर्माण या खरीद के लिए कर्मचारी को 34 माह का मूल वेतन या अधिकतम ₹25 लाख – इनमें जो भी राशि कम होगी – अग्रिम के रूप में दी जाएगी। यह प्रस्ताव कैबिनेट द्वारा पहले ही मंजूर किया जा चुका था और अब इसे वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा औपचारिक आदेश के रूप में जारी कर दिया गया है।
मरम्मत के लिए अलग व्यवस्था
यदि कोई कर्मचारी केवल अपने भवन की मरम्मत या विस्तार कराना चाहता है, तो उसे 24 माह का मूल वेतन या अधिकतम ₹10 लाख या मरम्मत/विस्तार की वास्तविक लागत – जो भी कम हो – अग्रिम के रूप में मिलेगा। इसकी वसूली 120 मासिक किश्तों में होगी।
ब्याज दर और वापसी की व्यवस्था
वर्ष 2024-25 के लिए अग्रिम पर 7.44% की साधारण ब्याज दर निर्धारित की गई है, जो भारत सरकार की ओर से तय की गई है। यदि भविष्य में केंद्र सरकार ब्याज दर में कोई बदलाव करती है, तो उसी के अनुरूप राज्य सरकार भी दरों में संशोधन करेगी। ब्याज की गणना अग्रिम की पहली किस्त की तारीख से शुरू होगी। ध्यान देने योग्य बात यह है कि भुगतान की अवधि 240 मासिक किश्तों तक हो सकती है, जिससे कर्मचारियों पर एकमुश्त बोझ नहीं पड़ेगा और वे धीरे-धीरे राशि चुका सकेंगे।
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