यूपी में 'घरौनी' को लेकर बड़ा अपडेट, तुरंत पढ़ें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण आबादी के घरों को कानूनी पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब ‘घरौनी’ को केवल दस्तावेजी पहचान न मानकर एक कानूनी दर्जा देने की तैयारी की जा रही है। इससे न केवल ग्रामीणों को अपनी संपत्ति पर स्वामित्व अधिकार मिलेगा, बल्कि वे बैंकों से ऋण भी प्राप्त कर सकेंगे।

क्या है 'घरौनी'?

‘घरौनी’ स्वामित्व योजना के अंतर्गत जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में मकान के स्वामित्व को प्रमाणित करता है। यह योजना प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसमें ड्रोन सर्वेक्षण द्वारा गांवों का नक्शा तैयार कर, हर मकान के मालिक को एक डिजिटल स्वामित्व प्रमाण पत्र दिया जाता है।

क्या होगा बदलेगा?

राजस्व विभाग ने अब एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया है, जिससे घरौनी को कानूनी मान्यता दी जा सके। इस प्रस्ताव को संबंधित विभागों — जैसे न्याय, वित्त और राजस्व — की संस्तुति मिलने के बाद कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के पश्चात इसे विधानसभा के मानसून सत्र में रखा जाएगा। यदि यह कानून बनता है, तो घरौनी एक ऐसा दस्तावेज बन जाएगा, जिसके आधार पर ग्रामीण बैंक से ऋण ले सकेंगे और अपनी संपत्ति का कानूनी दावा कर सकेंगे।

मालिकाना हक और विवाद निवारण की प्रक्रिया

इस नए मसौदे के तहत, यदि भूमि अविवादित है तो लेखपाल द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद कानूनगो की मंजूरी से संबंधित व्यक्ति का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। यदि संपत्ति बैनामा, गिफ्ट डीड, उत्तराधिकार या नीलामी के माध्यम से प्राप्त हुई है, तो तहसीलदार की स्वीकृति आवश्यक होगी। यदि किसी भूमि पर विवाद है, तो लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम यह निर्णय लेंगे कि भूमि विवादित है या अविवादित। यही अधिकारी अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे।

0 comments:

Post a Comment