फंड की स्थिति नहीं दे रही बढ़ोतरी की अनुमति
लोकसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने बताया कि EPS-95 फंड के साल 2019 के आखिरी वैल्यूएशन में गंभीर एक्ट्यूरियल डेफिसिट पाया गया है। इसका अर्थ है कि मौजूदा फंड की वित्तीय स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि न्यूनतम पेंशन में बड़ा इजाफा किया जा सके।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि EPS-95 योजना एक परिभाषित अंशदान और परिभाषित लाभ वाली स्कीम है, जिसमें 8.33% अंशदान नियोक्ता का होता है और केंद्र सरकार वेतन सीमा ₹15,000 तक 1.16% अतिरिक्त योगदान देती है। चूंकि सभी पेंशन इन्हीं जमा फंडों से दी जाती हैं, इसलिए घाटे की स्थिति में पेंशन राशि बढ़ाना व्यावहारिक नहीं है।
सांसदों के सवाल, पेंशन पर कब होगा निर्णय?
शिवसेना (UBT) के सांसद बाल्या मामा सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे ने सरकार से पूछा था कि क्या वह EPS-95 पेंशन को बढ़ाने पर विचार कर रही है। साथ ही उन्होंने DA लाभ, संगठन की मांगों और भविष्य की योजनाओं पर भी सवाल उठाए। सरकार का स्पष्ट जवाब था कि फिलहाल न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का कोई तत्काल निर्णय नहीं लिया जा सकता। सरकार अभी भी न्यूनतम ₹1,000 की पेंशन सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त बजटरी सहायता दे रही है, लेकिन उसकी सीमा भी फंड की आर्थिक स्थिति से बंधी हुई है।
EPS-95 क्यों है महत्वपूर्ण?
EPS-95 भारत में करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक अहम सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसके तहत 58 वर्ष पर सुपरएनुएशन पेंशन, 50 वर्ष पर अर्ली पेंशन, स्थायी विकलांगता पर डिसएबिलिटी पेंशन, विधवा/विधुर, बच्चों और अनाथों के लिए विशेष पेंशन, नामिनी और माता-पिता के लिए सहायता जैसे कई लाभ शामिल हैं। यही कारण है कि पेंशनर्स लगातार इसकी मजबूत व्यवस्था की मांग करते रहे हैं।

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