इस योजना के अंतर्गत परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों, कम्पोजिट स्कूलों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) को स्मार्ट क्लास के दायरे में शामिल किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, सभी स्कूलों को स्मार्ट क्लास के लिए वाई-फाई सुविधा से पूरी तरह सुसज्जित करने की सिफारिश की गई है। इसके लिए स्कूलों को इंटरनेट और अन्य तकनीकी उपकरणों से लैस करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यूपी ने शिक्षा के कई क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन स्मार्ट क्लास के मामले में राज्य अभी भी कई अन्य राज्यों से पीछे है। इस कमी को पूरा करने के लिए समग्र शिक्षा के तहत परिषदीय स्कूलों में स्मार्ट क्लास की स्थापना की जा रही है। कई स्कूलों में इसे CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड से भी लागू किया गया है।
हालांकि, अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहाँ स्मार्ट क्लास पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं। कुछ स्कूलों में उपकरण मौजूद हैं लेकिन इंटरनेट कनेक्शन न होने या उपकरण निष्क्रिय होने के कारण स्मार्ट क्लासें उपयोग नहीं हो पा रही हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस समस्या का समाधान करने के लिए नॉन फंक्शनल स्मार्ट क्लास को सक्रिय करने और नई स्मार्ट क्लास स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
लक्ष्य यह है कि 31 मार्च 2026 तक सभी निष्क्रिय और नए स्मार्ट क्लास पूरी तरह चालू हों। इस पहल से न केवल छात्रों को आधुनिक शिक्षण सुविधाएं मिलेंगी बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। यूपी के स्कूल अब डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

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