भारत ने कर दिया 1 बड़ा खेल, ट्रंप को लगा झटका

नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% तक के हाई टैरिफ ने भारतीय निर्यात पर गहरा असर डाला है। कई प्रमुख सेक्टर्स में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ, और सिर्फ पाँच महीनों में भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 28.5% गिर गया। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार नहीं रुकी बल्कि दूसरी तिमाही में 8.2% की शानदार GDP ग्रोथ दर्ज हुई। सवाल उठता है कि जब निर्यात इतना घटा, तब भी अर्थव्यवस्था कैसे तेज गति से आगे बढ़ी?

आइए इस पूरी कहानी को आसान शब्दों में समझते हैं।

GDP ग्रोथ इतनी तेज कैसे रही?

जब निर्यात कम होता है, तो आम तौर पर देश की ग्रोथ पर सीधा असर पड़ता है। लेकिन भारत ने मौके पर ऐसी रणनीति अपनाई कि टैरिफ का झटका संतुलित हो गया।

1.अमेरिका के नुकसान की भरपाई अन्य देशों से

भारत के कई सेक्टर ने तुरंत नए बाज़ारों की ओर रुख किया। उदाहरण: जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर, अमेरिका को निर्यात 76% गिरा, लेकिन UAE, हांगकांग और बेल्जियम में भारी मांग होने से कुल निर्यात मात्र 1.5% ही कम हुआ। ऑटो पार्ट्स जर्मनी, थाईलैंड आदि से अच्छी मांग मिली। यह दर्शाता है कि भारत ने किसी एक देश पर निर्भर रहने की जगह अन्य बाज़ारों में जगह बनाकर गिरावट को संतुलित कर लिया।

2. मोदी सरकार के कदम, घरेलू मांग पर जोर

अमेरिकी टैरिफ के बाद केंद्र सरकार ने कई उपाय किए, जिनसे आर्थिक गतिविधियों को नई ऊर्जा मिली। GST सुधारों से उपभोग में तेजी आई। कैपेक्स पर बड़े खर्च से निवेश और निर्माण गतिविधियाँ तेज हुईं। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों ने रिकॉर्ड प्रदर्शन किया। इस घरेलू मांग ने गिरते निर्यात के बावजूद अर्थव्यवस्था को मजबूत सहारा दिया।

3. सितंबर का डेटा, सफलता का प्रमाण

अमेरिका को निर्यात 11.9% गिरा, लेकिन कुल निर्यात 6.75% बढ़ा। इससे साफ है कि भारत ने अमेरिकी टैरिफ के असर को दूसरे बाज़ारों के दम पर काफी हद तक कवर कर लिया।

4. ग्लोबल संस्थाओं का भरोसा भी बढ़ा

IMF, वर्ल्ड बैंक और अन्य संस्थानों ने भारत की लचीली आर्थिक संरचना और अद्भुत रिकवरी की सराहना की है। ऊंचे टैरिफ, वैश्विक मंदी और सप्लाई चेन संकट के बावजूद 8% से अधिक GDP ग्रोथ किसी बड़े आर्थिक आत्मविश्वास का संकेत है।

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