भारत की समुद्री सुरक्षा को मिलेगा नया कवच
परमाणु पनडुब्बी किसी भी देश के लिए अत्यंत रणनीतिक हथियार मानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है लंबे समय तक पानी में रहकर ऑपरेशन करने की क्षमता, तेज़ गति, दुश्मन की नज़र से लगभग अदृश्य रहना। चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों ने हिंद महासागर को गत कुछ वर्षों में बेहद संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में भारत के लिए यह सबमरीन उसकी समुद्री सीमा की सुरक्षा को मजबूती देने वाली साबित होगी।
INS चक्र के बाद एक और महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म
भारत के पास इससे पहले भी रूस से लीज पर ली गई INS चक्र सबमरीन थी, जिसने लगभग एक दशक तक नौसेना की आक्रामक क्षमता बढ़ाई। उसके वापस लौटने के बाद भारतीय नौसेना को एक उन्नत विकल्प की प्रतीक्षा थी, और यह नई डील इसी आवश्यकता का समाधान है।
पुतिन का भारत दौरा: रक्षा साझेदारी का नया अध्याय
राष्ट्रपति पुतिन 4, 5 दिसंबर को भारत के दौरे पर रहेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि दोनों देशों की “स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप” को आगे बढ़ाने का रोडमैप तैयार करेगी। रक्षा, ऊर्जा, व्यापार इन सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होगी, और यह पनडुब्बी समझौता दर्शाता है कि भारत–रूस संबंध अभी भी उतने ही मजबूत हैं जितने दशकों पहले थे।

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