व्यापार असंतुलन मिटानेकी तैयारी
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने स्वीकार किया कि रूस–भारत व्यापार में अभी पलड़ा रूस की ओर झुका हुआ है। रूस भारत को तेल और ऊर्जा संसाधनों का बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जबकि भारत से आयात की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। भारत की इसी चिंता को दूर करने के लिए रूस एक नई रणनीति की ओर बढ़ रहा है।
पुतिन की यात्रा के दौरान एक विशेष ‘इम्पोर्टर्स फोरम’ आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य रूस के भीतर भारतीय उत्पादों और सेवाओं की संभावनाओं को तलाशना और आयात को तेजी से बढ़ाने का रास्ता तैयार करना है। यह मंच दोनों देशों के कारोबारी समुदाय को एक साथ लाकर नए अवसरों की पहचान करेगा।
मोदी–पुतिन की मीटिंग
राष्ट्रपति पुतिन 4 और 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत के राजकीय दौरे पर रहेंगे। इस दौरान होने वाला 23वां भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं होगी। इस बैठक में रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, व्यापार विस्तार और वैश्विक भू-राजनीतिक मुद्दों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है।रूस ने भारत की तेज़ आर्थिक प्रगति की खुलकर सराहना की है और संकेत दिया है कि वह भारत के विकास यात्रा में एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा।
डॉलर से मुक्त व्यापार
वैश्विक अस्थिरताओं और प्रतिबंधों के दबाव को देखते हुए भारत और रूस ने व्यापार के लिए एक वैकल्पिक सुरक्षित व्यवस्था विकसित की है। दोनों देश अब लगभग पूरा व्यापार अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में कर रहे हैं। इससे लेनदेन में न केवल स्थिरता आई है, बल्कि किसी तीसरे देश के दबाव या प्रतिबंध से व्यापार प्रभावित होने की संभावना भी कम हो गई है। यह व्यवस्था भारत के निर्यातकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक मानी जा रही है, क्योंकि इससे भुगतान की सुरक्षा और गति दोनों मजबूत होती हैं।

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