इस निर्णय के तहत अब इन भूखंडों पर भवन मानचित्र पास कराने पर निरीक्षण शुल्क पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और भवन परमिट शुल्क केवल 1 रुपये निर्धारित किया गया है। इससे पहले, 100 वर्ग मीटर के आवासीय भूखंड पर भवन परमिट के लिए पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से कुल 500 रुपये और निरीक्षण शुल्क के रूप में 2,000 रुपये वसूले जाते थे।
यह बदलाव उप्र नगर योजना और विकास नियमावली में संशोधन के माध्यम से किया गया है। नए संशोधन की अधिसूचना, प्रथम संशोधन नियमावली-2025, मंगलवार को जारी की गई। इसे आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरुप्रसाद ने जारी किया।
संशोधित नियमावली में भवन निर्माण से जुड़े विभिन्न शुल्कों के संबंध में नियमों को स्पष्ट किया गया है। हालांकि बड़े भूखंडों और वाणिज्यिक, कार्यालय या समूह आवासीय भूखंडों पर भवन परमिट शुल्क 5 से 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से यथावत रहेगा। वहीं छोटे भूखंडों पर यह शुल्क मात्र 1 रुपये कर दिया गया है।
दरअसल, पूर्व में विकास प्राधिकरणों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्कों पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने नए नियमावली बनाकर भवन परमिट, विकास परमिट और निरीक्षण शुल्क वसूलने का रास्ता पुनः स्पष्ट किया।
भवन परमिट और निरीक्षण शुल्क से होने वाली आय अवस्थापना विकास निधि में जमा की जाती है, जिसे शहर में अवस्थापना और विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। छोटे भूखंडों पर शुल्क में छूट देने से आम नागरिकों को निर्माण प्रक्रिया में आर्थिक राहत मिलेगी और शहर में नियोजित निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
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