T-Dome की ताकत: ताइवान ने चीन के लिए बढ़ाई सुरक्षा की दीवार

नई दिल्ली। ताइवान ने अपनी रक्षा प्रणाली में एक बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने हाल ही में देश की सबसे महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना ‘T-Dome’ (Taiwan Dome) का आधिकारिक ऐलान किया। इस सिस्टम को ताइवान की सुरक्षा के लिए एक नई मजबूत दीवार के रूप में तैयार किया गया है, जिसे इजरायल के ‘आयरन डोम’ से भी तुलना की जा रही है।

आयरन डोम से भी अधिक पावरफुल

विशेषज्ञों का मानना है कि T-Dome आयरन डोम से कहीं अधिक शक्तिशाली होगी। इसका मुख्य उद्देश्य चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के किसी भी संभावित हमले से ताइवान की रक्षा करना है। T-Dome न केवल लड़ाकू विमानों और बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि क्रूज मिसाइलों और ड्रोन हमलों को भी कुशलतापूर्वक रोकने में सक्षम होगी।

चीन के बढ़ते खतरे से निपटने की तैयारी

ताइवान ने अगले कई वर्षों में रक्षा बजट में 40 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश करने का प्रस्ताव रखा है। इस बजट का सबसे बड़ा हिस्सा T-Dome के विकास और तैनाती पर खर्च किया जाएगा। राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना चीन के "बढ़ते" खतरे का मुकाबला करने के लिए उच्च प्राथमिकता में है।

सैन्य रणनीति में बदलाव

T-Dome को ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह द्वीप को चीन के संभावित हवाई, मिसाइल और ड्रोन हमलों से बचा सके। राष्ट्रपति ने 10 अक्टूबर को इस परियोजना की घोषणा करते हुए कहा कि ताइवान अब किसी भी संभावित खतरों के प्रति तैयार रहेगा और इसका निर्माण तेज गति से पूरा किया जाएगा।

भविष्य की सुरक्षा

विशेषज्ञ मानते हैं कि T-Dome ताइवान की रक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। चीन के लिए यह न केवल एक रणनीतिक चुनौती बनेगी, बल्कि द्वीप की सुरक्षा की मजबूती और उसकी सैन्य तैयारी का प्रतीक भी होगी। T-Dome परियोजना के जरिए ताइवान यह संदेश देना चाहता है कि वह अपनी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है, और किसी भी बाहरी खतरे को कुशलता से नाकाम करने की क्षमता रखता है।

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