बिहार में गर्मी की छुट्टी में गणित पढ़ेंगे कक्षा 5 और 6 के छात्र

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 5 और 6 के छात्रों के लिए इस बार गर्मी की छुट्टियां केवल आराम का नहीं, बल्कि सीखने का भी समय होंगी। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निर्देश पर 20 मई से 20 जून 2025 तक पूरे राज्य में ‘गणितीय समर कैंप’ का आयोजन किया जाएगा। यह कैंप खासतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित किया जा रहा है जो सरल गणित में कमजोर हैं।

इस पहल को प्रथम संस्था के सहयोग से संचालित किया जाएगा। कैंप का मुख्य उद्देश्य छात्रों की बुनियादी गणितीय समझ को मजबूत करना है ताकि उनका अकादमिक आधार बेहतर हो सके। यह कैंप गांव और टोला स्तर पर आयोजित किया जाएगा, ताकि बच्चों को उनकी स्थानीयता में ही गणित सिखाया जा सके और उन्हें अधिक सहज अनुभव मिले।

प्रशिक्षित स्वयंसेवक करेंगे बच्चों को प्रशिक्षित

कैंप के संचालन के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की जरूरत होगी। इस कार्य के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) के प्रशिक्षु, बिहार कौशल विकास मिशन के ‘कुशल युवा कार्यक्रम’ में नामांकित युवा, एनसीसी कैडेट्स, शिक्षा सेवक, पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राएं, जीविका दीदियों द्वारा प्रेरित युवक-युवतियां, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य, प्रथम संस्था एवं अन्य स्वयंसेवी संगठन आगे आएंगे। इन सभी को विशेष प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाएगा।

ASER टूल्स से होगी छात्रों की पहचान

कैंप में शामिल होने वाले बच्चों का चयन ASER (Annual Status of Education Report) टूल्स के माध्यम से किया जाएगा। स्वयंसेवक इन टूल्स का उपयोग करके गांव-गांव जाकर कमजोर बच्चों की पहचान करेंगे और उन्हें गणित के विशेष सत्रों से जोड़ेंगे। प्रतिदिन 1 से 1.5 घंटे तक गणित पढ़ाने का कार्यक्रम तय किया गया है।

प्रत्येक कैंप में 10 से 15 बच्चों की भागीदारी

हर समर कैंप में अधिकतम 10 से 15 छात्रों को शामिल किया जाएगा ताकि प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जा सके। यह पूरा कार्यक्रम सामुदायिक भागीदारी पर आधारित होगा, जिससे गांव के ही शिक्षित युवाओं को भी एक सार्थक भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।

शिक्षा में सुधार की दिशा में एक अहम कदम

प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ समग्र शिक्षा को निर्देशित पत्र में साफ कहा गया है कि इस समर कैंप को गंभीरता से संचालित किया जाए। यह पहल न केवल गणितीय समझ को बेहतर बनाएगी, बल्कि बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ाएगी।

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