फिटमेंट फैक्टर: सैलरी बढ़ोतरी की रीढ़
फिटमेंट फैक्टर वह गुणक (multiplier) है, जिससे कर्मचारियों की वर्तमान सैलरी को बढ़ाकर नए वेतनमान में तब्दील किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, जिससे न्यूनतम सैलरी 7,000 रुपए से बढ़कर 18,000 रुपए हो गई थी। अब अगर 8वें वेतन आयोग में 2.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो कर्मचारी की बेसिक सैलरी सीधे 51,000 रुपए तक पहुंच सकती है।
सरकार को लेवल मर्जर का प्रस्ताव
एडवोकेट्स और कर्मचारियों की यूनियनों की ओर से सरकार को सुझाव दिया गया है कि कुछ पे लेवल्स को आपस में मर्ज कर दिया जाए। इसमें खासतौर पर लेवल-1 को लेवल-2 के साथ, लेवल-3 को लेवल-4 के साथ और लेवल-5 को लेवल-6 के साथ मर्ज करने की बात कही गई है। इससे न सिर्फ लोअर पे स्केल वाले कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, बल्कि कैरियर ग्रोथ के मौके भी बढ़ेंगे।
1 लाख तक पहुंच सकती है सैलरी
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक जाता है, तो कर्मचारियों की सैलरी में भारी उछाल आ सकता है। अनुमान है कि कई कर्मचारियों की मासिक सैलरी 40,000 रुपए से बढ़कर सीधे 1 लाख रुपए तक पहुंच सकती है।
हेल्थ इंश्योरेंस और भत्तों में भी बदलाव संभव
7वें वेतन आयोग में जिस तरह हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम और अन्य अलाउंस में बदलाव किए गए थे, उसी तरह 8वें वेतन आयोग से भी नई हेल्थ स्कीम, रिवाइज्ड HRA और अन्य भत्तों में संशोधन की उम्मीद की जा रही है।
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