भारत बना रहा है दुनिया का सबसे घातक स्टील्थ ड्रोन

नई दिल्ली। भारत तेजी से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होता जा रहा है। अब देश एक और बड़ी छलांग लगाने जा रहा है – स्टील्थ तकनीक से युक्त अपना पहला कामिकेज़ ड्रोन, जिसका नाम है स्विफ्ट-के (SWiFT-K)। इस घातक ड्रोन को बेंगलुरु में स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ADE) द्वारा विकसित किया जा रहा है।

क्या है स्विफ्ट-के?

स्विफ्ट-के एक कामिकेज़ स्टाइल ड्रोन है, जिसका मतलब है कि यह दुश्मन के टारगेट पर हमला करने के बाद खुद को भी नष्ट कर लेता है। यह दुश्मन के हवाई सुरक्षा सिस्टम, रडार, और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। इसका नाम SWiFT का पूरा अर्थ है – Stealth Wing Flying Testbed।

यह ड्रोन भारत के 'घातक' UCAV प्रोग्राम (Unmanned Combat Aerial Vehicle) का हिस्सा है और उसका छोटा संस्करण माना जा रहा है। स्विफ्ट-के एक तरह से तकनीकी परीक्षण के लिए तैयार किया गया प्लेटफॉर्म है, जिससे आने वाले वर्षों में और भी उन्नत ड्रोन्स विकसित किए जा सकें।

स्विफ्ट-के की अहम खासियतें:

स्टील्थ तकनीक: इसका डिज़ाइन रडार को चकमा देने के लिए खासतौर पर तैयार किया गया है।

रफ्तार: 0.6 मैक (लगभग 735 किमी/घंटा) की स्पीड से उड़ान भरता है, जिससे इसे पकड़ पाना बेहद कठिन हो जाता है।

ऑटोनॉमस कंट्रोल: यह पूरी तरह से स्वचालित ड्रोन है, यानी इसे उड़ाने के लिए इंसानी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती।

लॉन्चिंग सिस्टम: वर्तमान में यह रनवे से उड़ता है, लेकिन भविष्य में इसे बूस्टर या कैटपल्ट सिस्टम से कहीं से भी लॉन्च किया जा सकेगा।

मारक क्षमता: इसमें विस्फोटक वॉरहेड होता है, जो दुश्मन के एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम जैसे HQ-9 को नष्ट कर सकता है।

कैसे बन रहा है यह ड्रोन?

स्विफ्ट-के को IISc बेंगलुरु के साथ मिलकर विकसित किया गया है। सिर्फ 9 महीनों में इसका डिज़ाइन और दो प्रोटोटाइप तैयार कर लिए गए। इसका परीक्षण चित्रदुर्ग (कर्नाटक) स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में किया गया, जहां इसने सफलतापूर्वक हाई-स्पीड टैक्सी ट्रायल (HSTT) पास किया। जल्द ही इसमें स्वदेशी स्मॉल टर्बो फैन इंजन (STFE) लगाया जाएगा, जिसे DRDO की गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) ने विकसित किया है।

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