भारत ने रक्षा तकनीक के एक और अहम मोर्चे पर पाकिस्तान को पीछे छोड़ते हुए ड्रोन वॉरफेयर के क्षेत्र में निर्णायक बढ़त बना ली है। एक प्रतिष्ठित वैश्विक रक्षा विश्लेषण संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ड्रोन क्षमताएं न केवल पाकिस्तान से बेहतर हैं, बल्कि दक्षिण एशिया में इसे सबसे उन्नत ड्रोन शक्ति के रूप में स्थापित करती हैं।
टेक्नोलॉजी और तैनाती – भारत की मजबूती
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में स्वदेशी और आयातित तकनीक के समन्वय से ड्रोन विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश में HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड), DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन), और निजी कंपनियों के सहयोग से विकसित ड्रोन जैसे ‘रुस्तम’, ‘तपस BH-201’, ‘स्विच’ न केवल निगरानी मिशनों में इस्तेमाल हो रहे हैं, बल्कि हथियारबंद ऑपरेशनों के लिए भी तैयार हैं।
इसके अलावा, भारत अमेरिकी MQ-9 Reaper और इज़रायली Heron TP जैसे उच्च क्षमता वाले ड्रोन के संचालन और सहयोग की दिशा में भी बड़ी रणनीतिक पहल कर चुका है। भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ड्रोन भी तैयार कर रहा हैं।
पाकिस्तान की स्थिति तुलनात्मक रूप से कमजोर
जहां भारत स्वदेशी निर्माण और बहुपक्षीय साझेदारियों के सहारे अपनी क्षमताओं को लगातार उन्नत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान की ड्रोन क्षमताएं अब भी सीमित दायरे में हैं। पाकिस्तान के पास ‘बुराक’ और ‘शाहपर’ जैसे कुछ यूएवी जरूर हैं, लेकिन ये भारत की तुलना में न तो उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, और न ही उनके पास अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां मौजूद हैं।
पाकिस्तान ने ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए मुख्यतः चीन पर निर्भरता बनाई हुई है, जबकि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं का सकारात्मक असर अब रक्षा उत्पादन में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।
0 comments:
Post a Comment