वाराणसी:
उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतें अब आत्मनिर्भरता की दिशा में नए आयाम गढ़ रही हैं। वाराणसी जनपद की पंचायतों में बीते वित्तीय वर्ष के दौरान 'यूजर चार्ज' के जरिए 16 लाख रुपये से अधिक की आय हुई है, जिससे पंचायतों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और ग्रामीण विकास को नई रफ्तार मिल रही है।
सीएससी बना ग्रामीणों का डिजिटल सहारा
वाराणसी की सभी 694 ग्राम पंचायतों में अब कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) स्थापित हो चुके हैं। सीएससी के माध्यम से अब ग्रामीणों को जाति, निवास, आय प्रमाणपत्र, आधार कार्ड जैसी जरूरी सेवाएं गांव में ही उपलब्ध हो रही हैं। अब उन्हें शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। इससे न केवल समय की बचत हो रही है बल्कि गांवों में डिजिटल जागरूकता और नागरिक सशक्तिकरण भी बढ़ रहा है।
यूजर चार्ज से पंचायतों को मिल रही नई ताकत
बड़ी पंचायतों में सामुदायिक शौचालय, पेयजल आपूर्ति, सीएससी और कूड़ा उठान जैसी सुविधाओं के एवज में अब यूजर चार्ज वसूला जा रहा है। हालांकि कई पंचायतों में अभी ये सेवाएं निश्शुल्क हैं, लेकिन पंचायतें अब धीरे-धीरे न्यूनतम शुल्क तय कर इन्हें आय के साधन में बदल रही हैं। इसका उद्देश्य स्वच्छता व्यवस्था को निरंतर बनाए रखना और पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत करना है।
हाट बाजार और स्वरोजगार से ग्रामीणों को राहत
सरकारी प्रयासों के तहत पंचायतों में हाट बाजार की स्थापना की जा रही है, जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलने लगा है। इसके अलावा युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं और गांवों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।
उत्तर प्रदेश के पंचायतों के विकास का नया मॉडल
यूपी में जिला प्रशासन पंचायतों की आय बढ़ाने और सेवाओं को व्यवस्थित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में सभी सहायक विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि आरआरसी का संचालन प्रभावी ढंग से किया जाए और यूजर चार्ज की वसूली सुनिश्चित की जाए।
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